
महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों प्रोटीन शेक से ज़्यादा चर्चा है उस “जिम सलाह” की जो बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर ने लड़कियों को दी है।
जगह: बीड ज़िला
मंच: एक सार्वजनिक सभा
बात: “हिंदू लड़कियां जिम ना जाएं… वहां साजिश चल रही है।”
अब आप कहेंगे कि जिम में क्या नए-नए षड्यंत्र शुरू हो गए? तो आइए, पूरा घटनाक्रम समझते हैं। (प्रोटीन बार साथ रखें।)
“योगा करिए बहनों, जिम में षड्यंत्र पल रहा है!”
विधायक पडलकर ने कहा — “मेरा विनम्र निवेदन है कि हिंदू लड़कियां उन जिमों में ना जाएं, जहां उन्हें यह भी नहीं पता कि ट्रेनर कौन है। घर पर योग कीजिए, सुरक्षित रहिए।”
उनका दावा है कि एक “बड़ी साजिश” चल रही है जिसमें कुछ लोग (नाम नहीं लिया गया, लेकिन इशारा समझने वाले समझ गए) हिंदू लड़कियों को जिम के बहाने फंसा रहे हैं।
अब भला वेटलिफ्टिंग में कब से साजिशें छिपने लगीं?
कॉलेज में दाखिला लो, लेकिन पहले पहचान पत्र दिखाओ!
विधायकजी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कॉलेज आने वाले युवकों पर भी सवाल खड़े किए।
“कॉलेज में आने वाले युवाओं की पहचान की जांच होनी चाहिए। जिनकी पहचान साफ नहीं है, उन्हें कैंपस में आने से रोका जाए।”
अब लगता है एडमिशन से पहले आधार कार्ड + चरित्र प्रमाण पत्र + जिम सदस्यता विवरण भी देना पड़ेगा!

राजनीतिक पिघलन शुरू — बयान पर छिड़ा घमासान
विधायक के बयान पर विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।
- कांग्रेस और NCP ने इसे “साम्प्रदायिक” और “महिला स्वतंत्रता पर हमला” बताया।
- कुछ बीजेपी नेताओं ने कहा, “ये व्यक्तिगत राय है, पार्टी की नहीं।”
राजनीतिक दलों ने ये भी पूछा कि क्या अगली बार विधायकजी खुद घर-घर जाकर बताएंगे कि बेटियों को सुबह कौन-कौन से आसन करने चाहिए?
देश बदल रहा है… और अब जिम भी!
जहां एक ओर महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, वहीं ऐसे बयान फिर से उसी “संरक्षणवादी सोच” की याद दिलाते हैं जो महिलाओं को निर्णय लेने की क्षमता से वंचित समझती है।
क्या महिलाएं ये तय नहीं कर सकतीं कि उन्हें योग करना है, जिम जाना है या मार्शल आर्ट सीखना है?
और क्या हर जिम में कोई ‘षड्यंत्र’ छिपा है या फिर ये बयान राजनीति में फिटनेस से ज़्यादा फोकस खोने का सबूत है?
PCS Answer Key: दिल थामिए, स्कोर का सच सामने आने वाला है!
